BOARD OF GOVERNORS IN SUPER SESSION OF MEDICAL COUNCIL OF INDIA

NOTIFICATION
New Delhi, the 12th May, 2020

No. MCI-211(2)/2019(Ethics)/100659.— In exercise of the powers conferred by Section 33 of the Indian Medical Council Act, 1956 (102 of 1956), the Board of Governors in Supersession of the Medical Council of India with the previous sanction of the Central Government, hereby makes the following Regulations to amend the “Indian Medical Council (Professional Conduct, Etiquette and Ethics) Regulations, 2002:-
1. (i) These Regulations may be called the “Indian Medical Council (Professional Conduct, Etiquette and Ethics) (Amendment) Regulations, 2020.”
(ii) These regulations shall deemed to have been effective from 25 th March 2020 which is the date on which the Central Government has accorded
approval to these Regulations.
2. In the “Indian Medical Council (Professional Conduct, Etiquette and Ethics) Regulations, 2002”, the following addition shall be made:-

3.8 Consultation by Telemedicine

    • 3.8.1 Consultation through Telemedicine by the Registered Medical Practitioner under the Indian Medical Council Act,1956 shall be permissible in accordance with the Telemedicine Practice Guidelines contained in Appendix 5.
    • 3.8.2 Telemedicine Practice Guidelines are designed to serve as an aid and tool to enable Registered Medical Practitioners to effectively leverage telemedicine to enhance health services and access to all in India.
    • 3.8.3 Telemedicine Practice Guidelines are not applicable to the use of digital technology to conduct surgical or invasive procedure remotely.
    • 3.8.4 Any of the drugs lists contained in Telemedicine Practice Guidelines can be modified by the Board of Governors in super-session of the Medical Council of India/Medical Council of India from time to time, as required.

Telemedicine E-Clinic

यहाँ पर – Registered Medical Practitioner (R.M.P.) द्वारा टेलीमेडिसिन (दूर चिकित्सा) पद्धति के माध्यम से मलेरिया, टाइफाइड, डायरिया, हैजा, डिसेन्ट्री, टी. बी., मधुमेह, रक्तचाप, डेंगू बुखार, निमोनिया, सर्दी, जुकाम, खांसी, स्त्री रोग, हड्डी रोग, सामान्य एवं मौसमी बिमारियो, तथा अचानक से बीमार एवं दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का ( प्राथमिक उपचार ) एवं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का चिकित्सक सहायक( Health Worker ) के सहयोग से इलाज किया जाता है।

ग्रामीण टेलीमेडिसिन ई-क्लिनिक में उपयोग किये जाने वाले उपकरण एवं अन्य उपयोगी सामग्री

स्टेथो स्कोप

ब्लड प्रेशर मशीन

पल्स ऑक्सीमीटर

थर्मीमाटर

लम्बाई नापने की मशीन

ग्लुको मीटर

प्राण रक्षक दवाइयाँ

परिक्षण-टेबल

व्हील चेयर

ड्रिप स्टैंड

वेट मशीन

सर्जिकल स्प्रीट

हैंड ग्लव्स

मास्क

फिनाइल

डेटॉल

नेबुलाइजर

सिरिंज

पेन लाइट

स्ट्रेचर

इलेक्ट्रो कार्डियोग्राफ मशीन

प्राथमिक उपचार किट

साइन बोर्ड

एप्रोन

टेलीमेडिसिन ( दूर चिकित्सा )

(1) टेलीमेडिसिन क्या है ?

  • टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की एक उभरती हुई विधा है जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी के साथ चिकित्सा विज्ञान के सहक्रियात्मक संकेन्द्रण से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्र जैसे- शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रबंधन के अनेक अनुप्रयोगों के अलावा स्वास्थ्य देखभाल प्रदायगी की चुनौतियों को पूरा करने की अपार संभाव्यता निहित है।
  • यह उतना ही प्रभावी है जितना एक टेलीफोन के ज़रिये चिकित्सा संबंधी किसी समस्या पर रोगी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपस में बात करते हैं।
  • ईसीजी, रेडियोलॉजिकल इमेज आदि जैसे नैदानिक परीक्षणों, चिकित्सीय जानकारी के लिये इलेक्ट्रॉनिक चिकित्सा रिकॉर्ड भेजने और आईटी आधारित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की सहायता से रियल टाइम आधार पर अंतःक्रियात्मक चिकित्सा वीडियो कॉन्फ्रेंस करना, उपग्रह और स्थलीय नेटवर्क द्वारा ब्रॉडबैंड के उपयोग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसे जटिल कार्य करना भी इसका भाग है।

(2) विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार टेलीमेडिसिन की परिभाषा –

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन टेलीमेडिसिन को इस रूप में परिभाषित करता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की डिलीवरी, जहाँ दूरी एक महत्वपूर्ण कारक है, सभी स्वास्थ्य देखभाल, पेशेवरों द्वारा संचार पौद्योगिकीयों का उपयोग निदान, उपचार और बिमारी और चोटो की रोकथाम, अनुसंधान और मूल्यांकन, के लिए वैध जानकारी के आदान-प्रदान के लिए, और व्यक्तियों और समुदायों के स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों की सतत शिक्षा ।

(3) टेलीस्वास्थ्य की परिभाषा-

  • “दूरसंचार और डिजिटल सुचना प्रौद्योगिकियों के माध्यम से चिकित्सा देखभाल प्रदाता और मरीज शिक्षा, स्वास्थ्य सूचना सेवाओं ओर स्व सुरक्षा सहित स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं के लिए प्रदायगी और सुविधाकरण”
  • आमतौर पर टेलिमेडिसिन का इस्तेमाल किसी पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा प्रदान की गई नैदानिक सेवा को प्रदर्शित करता है, जबकि टेलीस्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन सहित स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का एक व्यापक अर्थ वाला शब्द है।

(4)टेलीमेडिसिन को भारत में कानूनी मान्यता कहाँ से और कब मिली ?-

  • भारत में बड़ी भौगोलिक दूरियों एवं सीमित साधनों के होते हुए व्यक्तिगत स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराना एक चुनौती है। टेलीमेडिसिन के द्वारा ग्रामीण मरीजों को परामर्श और इलाज प्राप्त करने के लिए लम्बी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह ऐसे परिवार व दखेभाल करने वाले व्यक्तियों को होने वाली असुविधा को कम करेगी, विशेषतः जहाँ मरीज को अपने डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता नही होगी इसलिए भारत सरकार ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (indian medical council) 1956 के अधिनियम का इस्तेमाल करते हुए Indian Medical Council (Professional Counduct, Etiquette, and Ethics) Regulations, 2002 (भारतीय आर्युविज्ञान परिषद (व्यवसायिक शिष्टाचार नैतिकता) विनियमावलि 2002 में 25 मार्च 2020 को संशोधित करने के लिए नए अधिनियम बनाये जो कि (भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (व्यवसायिक, शिष्टाचार एव नैतिकता विनियमावलि 2020 Indian medical Council (Professional Counduct, Etiquette, and Ethics) Regulations, 2020 कहा जाता है जिसके द्वारा भारत में टेलीमेडिसिन को क़ानूनी मान्यता प्रदान की गयी ।

टेलीमेडिसिन ( दूर चिकित्सा ) की विस्तृत जानकारी के लिए क्लिक करें टेलीमेडिसिन-क्या-है

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